म्यानों को तो तलवारें ही मिलेंगी
तंग दिमागों को तो दीवारें ही मिलेंगी।
जब जंग, जेहाद के जमाने हों
जिधर देखो क़तारें ही मिलेंगी।
जब सब कुछ बिखर जाए रेज़ा-रेज़ा
उसकी रग-रग में पुकारें ही मिलेंगी।
इतना बड़ा हो गया है आजकल
उसके अग़ल-बग़ल
में मीनारें ही मिलेंगी।
मेरे लिए हमेशा आंगन में खड़ी रही
माँ तेरे आंचल में बहारें ही मिलेंगी।
लोगों के दुख-दर्द बांटने पर हमेशा
दिलों में दुआओं की फुहारें ही मिलेंगी।
जब ऊंचे शायर लोगों के बीच नहीं जाएंगे
मंचों से उलटी सीधी हुंकारें ही मिलेंगी।
खुद्दारी जिसे जाँ से भी प्यारी
है
कहाँ उसके आसपास दीनारें ही मिलेंगी ?
बिन िवचारे वोट देने व न देने वालों
को
हमेशा ऐसी वैसी सरकारें ही मिलेंगी।
3 comments:
वाह!
आपकी यह पोस्ट कल दिनांक 07-01-2013 के चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सुन्दर शेर सारे.
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें
लोगों के दुख-दर्द बांटने पर हमेशा
दिलों में दुआओं की फुहारें ही मिलेंगी।
pandey ji khoob soorat rachana ke liye sadar abhar.
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